श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व ऐसा है की जितनी बार पढ़ें एवं सुने उतने ही नए रहस्य का प्रादुर्भाव होते हैं श्रीमद्भागवत गीता को संपूर्ण वर्णन करना किसी मैं सामर्थ नहीं इसमें संपूर्ण वेदों का सार संग्रह यह एक परम रहस्य ग्रंथ है श्रीमद्भगवद्गीता उतनी ही सुंदर और सरल है जिसको अभ्यास करने पर मनुष्य सहज ही समझ सकता है परंतु उसका आशय इतना गंभीर है की आजीवन निरंतर अभ्यास करने के पश्चात भी इसका रहस्य समझ पाना उतना ही मुश्किल है
प्रतिदिन नए-नए भाव नए-नए विचार उत्पन्न होते रहते हैं इससे यह सदैव नवीन बना रहता है श्रीमद भगवत गीता पठन एवं सुनने मात्र से श्रद्धा भक्ति सहित विचार करने से इसके पद पद में परम रहस्य भरा हुआ प्रत्यक्ष प्रतीत होता है। भगवान के गुण प्रभाव एवं मर्म का वर्णन जिस प्रकार श्रीमद्भगवद्गीता में किया गया है। वैसा किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता भगवान का एक ऐसा चरित्र शस्त्र कहा गया है ।जिसमें कोई भी उपदेश खाली नहीं जाता कहां जाते हैं श्रीमद्भगवद्गीता अपने आप में एक मैनेजमेंट है।
श्री वेदव्यास जी ने श्रीमद भगवत गीता जी का वर्णन इस प्रकार किया है
श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्री विष्णु के मुखारविंद से निकली हुई है इसलिए कहा जाता है की गीता सुनने मात्र से या यह पढ़कर भाव सहित अंतःकरण में धारण कर लेना मुख्य कर्तव्य है गीता का अधिकार संपूर्ण विश्व के मनुष्य का है
श्रीमद्भगवद्गीता के पठन मैं कहा गया है कि यदि कोई स्त्री वैश्य शूद्र और पाप योनि में होते हुए भी अगर कोई श्रीमद्भगवद्गीता की परम भक्त से अगर इसको श्रवण करता है एवं पाठन करता है तो उसको परम गति को प्राप्त होते हैं ऐ
ऐसी अनेक भ्रांतियां हैं कहा जाता है श्रीमद्भगवद्गीता के पठन से लोग सन्यास धारण कर लेते हैं कई लोगों को लगता है कि अगर उनका पुत्र अगर श्रीमद्भगवद्गीता जी का अभ्यास करते हैं तो उनका लड़का सन्यासी हो जाएगा परंतु श्रीमद्भगवद्गीता जीवन में एक प्रकाश का कार्य करता है क्योंकि वह भगवान के मुखारविंद से निकला है यह तो मनुष्य का परम कल्याण करना एवं परम गति की ओर प्रस्थान करने का कार्य करती ह