तो कहां से हम लोग योग शास्त्र में तंत्र शास्त्र में सिद्धि पाने के लिए जो लोग साधना करते हैं उनके लिए शास्त्रोक्त मत में और वेदांतिका मत ले और आध्यात्मिक उन्नति के मत में पाठक कहा गया साधना का लक्ष्य कदाचित सिद्धि नहीं होना चाहिए यह योग वेदांत क्षेत्र में है परंतु तंत्र क्षेत्र में तो योगसाधना इसलिए करते हैं कि सिद्धि पाना है फिर वहां कैसे खराब हो गया
सिद्धि पाना बुरा बात नहीं है लेकिन हमेशा याद रखना योग साधकों के लिए यह सीधी बायप्रोडक्ट है मैन प्रोडक्ट नहीं है अभी तुम गोपालन करो और गोबर खा कर बोलो कि गोबर मेरे लिए मैन प्रोडक्ट है तो गोबर बाय प्रोडक्ट है दूध मैन प्रोडक्ट है उसका सुप्रीम प्रोडक्ट है टारगेट है तो तुम गोबर और गोमूत्र में लटक गए तो दोस्त किसका
किसी भी प्रकार का सिद्धि हो अणिमा लघिमा प्रकाम्या प्राप्ति बगैरा बगैरा बहुत सारे इसके ऊपर एक एंड एक्सप्लेनेशन देने जाएं 11 योग सिद्धि का तो हर एक का एक एक दो दो चार घंटा चला जाएगा जब किसी दिन पतंजलि सूत्र पढ़ोगे मेरे से तो फिर इस बारे में हम लोग बात करेंगे लेकिन यहां पर सिंपल प्रश्न का उत्तर का बात करते हैं योग सिद्धि साधक के जीवन में केवल और केवल बाधा ही सुशील करता है उसके सिवा और कुछ नहीं
जो अध्यात्म साधक है और आध्यात्मिक के ऊपर जो पहुंचा पहुंचा हुआ व्यक्ति विशेष हैं बोलते हैं सिद्धि से बचो और लक्ष्य के ऊपर ध्यान लगाओ लक्ष्य को फोकस करो और सिद्धि के चक्कर में पड़े तो समझना कि आपका जिंदगी बर्बाद हो गया
साधक संत महात्मा खास इसीलिए बर्बाद हो जाते हैं क्योंकि उनके रुकावट साधना जगत में विधियों में हो जाता है हमको तो पानी में चलने का सिद्धि हो गया हम पाली में चल सकते हैं लोगों को दिखाना चालू लगाओ पानी में चल कर दिखाओ तो
आत्मा कहां गया था तपस्या करने वालों और पानी में चलने लगा जहां पानी में चलने लगा तो लोग ताली मारे तब तक उसका भाई एक नाव में दो-दो अन्ना देकर ₹2 देकर पारो के आ गया तू इतना 14 साल का जो साधना तपस्या किया इतना खर्चा किया इसका मूल्य कितना है साधना का मूल्य कितना है ₹2 का पानी में चला गया
क्या हुआ कि हम पानी में चल सकते हैं हम देखकर खुद को जला सकते हैं हम जो बोलेंगे बानी सिद्धि हो गया तो इस प्रकार का हम किसी को छुए और बीमारी ठीक हो गया हम चाहेंगे तो बारिश रोक देंगे सिद्धियां हैं हम इधर से घूम आया क्या चाहिए बोलो ले लो गुरुजी हमको समोसा चाहिए थी हमको चाहिए
यह सिद्धि प्रसिद्धि के चक्कर में लोग अपने परम लक्ष्य से भटक जाते हैं कितना दान करोगे कितना दोगे कितना अपने को दिखाओगे कितना अपने को प्रूफ करोगे यहां तो सीता माता को भी गलत बोलकर प्रूफ कर दिया जाता है तुमको यहां इतना पर्ची निकालने वाला बाबा लोग उसको भी झूठ बोलने लग गए जबकि उसके सामने पर्ची निकाल कर देता है क्या सोच रहे हो मैं बोल कर लिख देता हूं उसके पीछे भी पड़ गए तो तुम सिद्धि दिखाओगे तो तेरे पीछे नहीं पड़ेंगे इसका कोई गारंटी
परम लक्ष्य क्या है सिद्धि है अगर सिद्धि है तो जाओ करो हम काली सिद्धि कर लेंगे दुर्गा सिद्धि कर लेंगे गधा सिद्धि कर लेंगे गधा सिद्ध करो गधा में बैठ कर दो लात मारी तो समझ में आ जाए इसलिए हमारा जो समझना है
सिद्धि बुद्धि और बीमारी और फूट झाड़ करके ठीक करना तुम्हारा लक्ष्य है या निजापाड़ा माहित आर्थम और मैं हो गई कनिष्ठा यह जगत इस अदा न सियाग से बात मोदी भवन आेएमआर गानों यात्रा भजन सुपुत्र अमृता तैयार हो जाता तुम्हें
योग सिद्धि में पढ़ना है या फिर तुम्हारे जीवन का परम अहिता का कल्याण का साधना के मार्ग में जाना है यह तुम्हारे हाथ में तुम्हारे विचार में तब जाकर उस मार्ग में जाओगे वरना सज धज कर आए आकर्षण पग पग पर झूमती प्रलोभन सिद्धियां अप्सरा सिद्धि कर लिया क्या करोगे आप
कर्ण पिशाचिनी सिद्धि कर लिया कर लिया मनुष्य शरीर मिला है इन्हीं के पीछे पढ़ने के लिए पर मिला है क्या कृष्ण भगवान भूत ग्राम सचिव तथा बोलते हैं देखो उसका अर्थ क्या है तुम्हें जाना है
तो राम श्री भगवान रामकृष्ण परमहंस देव को ब्रह्म विद्या देना और काली मां को काटने के लिए उनका गुरु कभी परिवार तो आते नहीं राम कृष्णा वर्ष कंपलीटली 64 योगिनी सिद्धि करके सर्व सिद्धि प्राप्त कर लेने वाला सारे सिद्धियों को विनाश करने के लिए गुरु को फिर जो उनका सिद्ध गुरु थी भवानी फिर उन सारे मंत्र तंत्र रिद्धि सिद्धि सबको विनाश करना पड़ा उनके जनेऊ काटना पड़ा उनका चोटी काटना पड़ा उनके तंत्र विज्ञान करना पड़ा