दुर्बल मन कमजोर मानसिकता युक्त मन अशांत मन ताकत भी नमन यह जितने सारे ऐसे मनु स्थिति है ऐसे मनोज तिथि को क्या कहते हैं एस्ट्रोलॉजी में अगर देखोगे तो मन का डिग्री चंद्रमा का डिग्री कम होगा सूर्य से चंद्रमा का पक्ष बली नहीं रहे चंद्रमा के ऊपर राहु या केतु जैसे आर्सेनिका दृष्टि या उसके साथ ही रहेगा
कुंडली में चंद्रमा पाप कर्तरी में फंसा होगा आगे कोई ग्रह नहीं पीछे कोई ग्रह नहीं या उसके ऊपर 2233 पाप ग्रहों का दृष्टि हो पाप कर्तरी में फंसा होगा कुछ भी
नेचुरल ईमान इनका फील करता है उन भावनाओं को फील करता है 49 को फील करता है जिसे नहीं करना मैं नहीं कह रहा हूं ऊपर वाला देख रहे हो ना थोड़े से खड़ा हो जाओ किताब का नाम पढ़ो ग्राहक
अब इतने तांत्रिक मानसिक जंत्री काम करते हैं मन से करते हैं या दुर्बल मजबूत जाएगा क्या मजबूत
तुम कमजोर तो हम कैसे मजबूत हैं बताते हैं हम सर को लेकर सकते हैं यह सारा खेल एक ही है कर्मयोग कर्मयोग कर अगर आपके पास कर्मयोग का प्रवृत्ति है श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण भगवान बोले हैं कि अगर आप कर्मयोग करते हो तो आपके सारे समझते हैं अपने आप
उसके लिए और गीता और फिलॉसफी अब कर्मयोग में
महात्मा गांधी क्या कर रहे थे हमारे देश का राष्ट्रपिता है
कैपिटल लेटर सब लेकर लैट्रिन में संडास में बैठकर लिखा करते थे उनका भेजा काम नहीं करता प्राकृतिक चिकित्सा का जनक कौन है महात्मा गांधी
कभी 1 मिनट खाली नहीं बैठती थी कुछ नहीं तो घर का पुराना कपड़ा लाकर कन्फर्टी तिथि और खाली बैठे तो पत्ता लाकर दो ना जख्मी जा कर दो ना देखने की वह बनाते रहते और खाली बैठे अगर कुछ नहीं मिला तो कुछ ना कुछ करके अपने को व्यस्त रखें तो जो आदमी अपने को व्यस्त नहीं रखता उसी को मनोविकार जनित समस्या और रोग होता है यह कर्म योग आसनों का संग्रह कर्म योगा फिलोसोफी एस्ट्रोलॉजिकल मनोविकार रोड है कि जो व्यक्ति अपने को कर्म व्यस्त रखेगा उसको इस प्रकार के कोई समस्याएं कभी नहीं होंगे प्लस आध्यात्मिक विकास में करेगा और उसके जीवन पर जितने सारे समस्याएं हैं वह दूर हो जाएंगे
एक पन्ना पलट गया एक पन्ना पलट गया एक पन्ना पलट गया जितना जितना ज्यादा पन्ना पलटा होगे उतना उतना आपका भाग्य के समीप हो गया और सरल देखा कि किताब के अंदर से ₹500 या ₹1000 का एक नोट निकला किताब नहीं होते तो मिलता क्या खाली बैठे हो तो मिलता क्या