श्रीमद्भागवत गीता और कर्मयोग यह दोनों विषय बिंदु आपस में बड़े प्रचंड जोड़ रखते हैं एस्ट्रोलॉजी और श्रीमद्भागवत गीता और कर्मयोग सच कहा जाए तो संस्कृत संस्थान ही ठंड अगर किसी को मिलता है तो केवल और केवल कर्म करने से मिलते हैं जब तक आप कर्म कर रहे हो तब तक कहीं ना कहीं कर्म में आप लिंप अंते नरेश आप कर्म में संश्लिष्ट हो और जब कर्म में आप संश्लिष्ट हो तो फिर उसका दोष आपको लग जाएगा लेकिन उसी कर्म को अगर कर्मयोग के रूप में करते हो तो उसके दोस्त से आप विराट हो जाते हो विमुक्त हो जाते हो और वह कर्म आपको कैसा भी कर्म हो आपको दर्द नहीं देगा आपका कष्ट का कारण नहीं बनेगा
कृष्ण भगवान अर्जुन को कह रहे हैं कि हे अर्जुन हे पार्थ मार दौड़ा दौड़ा के मारा काट दे सबको और अर्जुन यहां कह रहा है कि यह तो मेरा ताऊ है ता ता है भाई है दादा है मेरा पिता महा है मेरा गुरु है मेरा ब्राह्मण है कृपाचार्य मेरा ग्रुप उतरा स्वस्थ है और यह सब मेरे अपने हैं मैं इनको हत्या करने का प्रबंध कर रहे हो मुझे पर्वत रिंग चलने पर तिल और कर्म हो जाएगा हो जाएगा और इससे अच्छा है कि मैं भीख मांग कर खा लूंगा ठीक है और मुझे इधर इन लोगों को मारकर पाप नहीं कमाना है बेकार काम है नहीं करना चाहिए हमको यह सब गलत काम अर्जुन के और बोल रहा है कि हम सो जाएंगे सब छोड़ देंगे भाग जाएंगे और इसके लिए यहां पर
कह रहा है इस समय प्रथम अध्याय में विषाद योग में गांधी बम संस्कृति हथवा सचिव परिधि हते कि हे प्रभु इस सब के बारे में सोचकर मेरे हाथ से गांडीव गिर रहा है उठा नहीं पा रहा हूं तनाव में आ रहा हूं चिंता ग्रस्त हूं भयभीत हूं तो यहीं पर ही है तेरा शरीर जलन हो रहा है तनाव इतना बढ़ गया है तो स्ट्रेस मैनेजमेंट का ट्रेनिंग कोर्स अगर कहीं है तो सबसे पहला श्रीमद्भागवत गीता है उसके बाद बाकी सब कुछ है स्ट्रेस मैनेजमेंट तनाव से मुक्त कृष्ण भगवान वहां पर उसको अपना श्रीमद्भागवत गीता का करते हैं
का जो मुंह है यहां क्या कह रहा है अर्जुन कि जब हम इन लोगों को मार देंगे तो क्या क्या होगा लुक तो पिंडो दशक्रिया अर्जुन प्रथम अध्याय बहुत बड़ा भयंकर पंडित बन रहा है यहां अर्जुन कृष्ण भगवान दूर बैठकर छत के ऊपर हंस रहे हैं कि अरे बाप रे अर्जुन इतना पंडिताई वाला बात कर रहा है सब कुछ जान गया है सब कुछ उसके पास ज्ञान है और फिर यहां कृष्ण को और ऑस्ट्रेलिया को और सनी को 3:00 को मिलाना है और नहीं लगेगा
शनि की साढ़ेसाती हो अंतर्दशा हो भैया हो शनि तभी दंड देगा जब कर्म करोगे कर्म किया तो पॉजिटिव भी होगा और नेगेटिव भी होगा ऐसा कोई भी काम नहीं है जहां का केवल पॉजिटिव फल मिलता है नेगेटिव भी होगा और पॉजिटिव भी होगा उसमें पाप कर्म भी होंगे पुण्य कर्म भी होंगे लेकिन यहां पर शनि का हाथ बंद हो जाता है जब आप कर्मयोग करते हो तो इसीलिए
श्रीमद्भागवत गीता के गीता के अनुसार बताया गया कि लोकेश नींद विधान इसका पूरा प्रोग्राम अय्यानगर ज्ञानयोग इंसान का नाम कर्मयोग एल योजना में दो ही मार्ग है एक है कर्मयोग एना योगी नाम जो योगी हैं उनका मार्ग का नाम कर्मयोग है संख्या नाम ज्ञानयोग इंसान श्याम और दूसरा मार्ग है ज्ञान का योग और उसको उस रास्ते का पति को बोलते हैं और
ज्ञान आदमी धक-धक अरमानी तमाखू पंडित अंबुजा क्योंकि ज्ञान अग्नि एक ऐसा आदमी है ज्ञान आदमी दग्ध कर्माणि सारे पापों को दर्द कर देता है तो इसलिए तो रास्ता बताया गया लेकिन फिर यहां पर आगे चलकर कृष्ण भगवान श्रीमद् भागवत गीता जी में बता रहे हैं की
हंसते मनासा स्मरण जो कर्मियों को नहीं करके केवल ज्ञान योग में चला जाता है उसका सूत्र है मैं क्लियर कर दूंगा चिंता मत करो उसको मेरी सब लोग जाता है लेकिन कर्मयोग नहीं करता है यानी कर्म का आचरण नहीं करता है केवल शंकर बाबागिरी बंद करता रहता है प्रवचन देते रहता है ऐसे लोगों को श्रीमद्भागवत गीता जी में श्री कृष्ण भगवान के हैं इससे बड़ा और ढोंगी कोई नहीं हो सकता और यह लोग इनको कभी भी अध्यात्म मार्ग में सिद्धि प्राप्त नहीं होता है कितना भी प्रयास करें
परी समाप्ति होता है और वह क्या नहीं न कर मना मना रम भास्कर में पुरुषों से बिना कर्मयोग में आप किसी भी कंडीशन पर उस परम तत्व तक नहीं पहुंच सकते हो यह आदेश है इस उपदेश है और यही सर्वविदित है यह पूरा गीता का कर्मयोग का 7 अध्याय को मैं 3 श्लोक में बता दिया भेजा में है तो हजम करो नहीं भेजा में है तू यानी हर प्रकार का दंड से मुक्ति चाहते हो तो पहले कर्मयोग में पीएचडी करो कर्मयोग भाषण और छोरी से नहीं होगा इसको समझाने के लिए उत्तम गुरु का आवश्यकता है
ब्रह्म लिस्ट इसके बारे में विस्तृत जानकारी रखता हो तनी तनी ज्ञान में नहीं देगा उसका उद्यान में काम नहीं थी और इसको करने से कर्मयोग चित्र शुद्धि परम परम सपा पकड़ा गया भक्ति सुधा के छात्र के अंतर्गत इस बात को रखा गया कि अगर आप कर्मयोग नहीं करते हो तो नाराज योग में जा सकते हो या नहीं ध्यान में सफल हो गए ना ज्ञान युग में सफल हो गए ना भक्ति योग में सफल हो गए इसलिए श्रीमद्भागवत गीता जी में श्री भगवान श्री कृष्ण का पहला अध्याय से सप्तम अध्याय का
भाग्य उन्नति करना चाहता है सनी के दंड से मुक्ति पाना चाहता है केवल कर्म में नहीं हो सकता उसके लिए कर्मयोग को बहुत अच्छा से समझना पड़ेगा ऐसे आचार्य से समझना पड़ेगा जो अपने से स्वयं सिद्ध कर्मयोगी यह प्रमाणित कर दिया शास्त्रों में प्रमाण कर दिया होगा जो सभी का सभी पुरे श्रीमद् भागवत गीता का निचोड़ तत्व है ठीक है सर्वोपरि सा गोपाल ना नवा गीतो
भोपाल नंदनम सभी वेद वेदांत उपनिषद को गाय समझो दुग्ध गोपाल नंदनम और वह क्या है श्रीमद्भागवत गीता निचोड़ है सबका श्रीमद्भागवत गीता करना नहीं चाहते नहीं करना चाहता कभी उन्नति नहीं मिलता और मिला भी होगा तो सब सनी बाबा इसी जगह में शनि दान करता है और शनि का महादशा हो या साढ़ेसाती हो उसका निचोड़ यही है बेटा बहुत कर्म कर लिया अब कर्म योग कर बहुत कर्म कर लिया क्योंकि तेरा कर्म का मकसद केवल कर्म था अब कर्म का मकसद कर्मयोग हो