शनि साढ़साती में लोग बनते हैं और बिगड़ते हैं शनि साढ़ेसाती में लोगों का ऐसा कंडीशन हो जाता है कि लोग बनते हैं हैं और टूटते हैं बनना और टूटना यह प्रकृति का नियम है प्रकृति में इस कार्य की सहायता शनि बाबा करते हैं कि आप सच में जिस चीज के लिए जन्म लिए हो और आप उस काम को छोड़ते हो तो आपको दुख पड़ता है फिर आप भटकते हो तो फिर से जिस काम के लिए जन्म लिया वह काम मेंकाम में आ जाते हो फिर जब तक सही काम में नहीं आते हो तब तक आपको लात पढ़ती रहती है l
when you will come in Final destination then you will automatically rock in your life
- दो रास्ते हैं पहला कुंडली देखो गुरुजी कुंडली देखो बताओ कुंडली में क्या देखा कि कुछ कुंडली में शनि साढ़ेसाती मैं गुरु कहां बैठा है शनि कहां बैठा है जिस जगह में बैठा है एवं किस डिग्री में बैठे हैं यह सब देख कर बता देंगे कि तुम्हें क्या नौकरी करना चाहिए
- दसमाधीपति कहां बैठा है ,कौन सी डिग्री पर बैठा है,कौन से नक्षत्र में बैठे हैं ,कौन से पद में बैठा है यह सब देखने के बाद उसको जाकर निर्धारित करना पड़ेगा की जीवन का लक्ष्य क्या है
- मुझे भगवान ने वेदग अध्यात्म की सारी सारे गुण भर दिया अब मैं कथा करने गया ही नहीं मेरे अंदर भगवान ने नेचुरोपैथी आयुष आयुर्वेद ज्योतिष विद्या वद्या का ज्ञान भर दिया लेकिन मैंने समाज कल्याण के लिए कुछ किया ही नहीं मैंने अपना कर्तव्य नहीं निभाया निभाया तो क्या सनी तू दोस्तों को दोस्त दोगे इसलिए आप लोग क्या है आप लोगों विचार कीजिए?
- यह सब देखने के बाद पता चलेगा की तुम विधान के लक्ष्य से कितना हट गए तुमने क्यों जन्म लिया
- मेरा नक्षत्र कहेगा मेरा कैरियर हाउस कहेगा अगर मैं डिगा और हटता तो ठुकाई तो पड़ेगा और मैं आया हूं गौ रक्षा करने के लिए और गौशाला खुला नहीं मैं गुरुकुल बनाने के लिए पैदा हुआ गुरुकुल बनाया नहीं मेरा सपना ऐसा कि मैं प्राकृतिक इसी करके अमृत खिलाना चाहता हूं लेकिन मैंने खेती किया नहीं