रावण क्यों गुरु शुक्राचार्य के पास जाते हैं गुरु शुक्राचार्य बोलते हैं कि क्यों आए रावण बनना है लंकेश बंद करने का इच्छा नहीं है करना होगा कि त्रिलोकनाथ बन जाए और मैं थोड़ा चेक करो तुम तुम्हारे पास सब कुछ बन सकते हो तुम्हारे सारे ग्रह भी और नहीं भी है तो हम तो शुक्राचार्य हैं मेरे पास सारे जितने ग्रहों का नंबर है सबका सेटिंग है हम राहु केतु शनि जो मेरा पार्टी है उन सब कक
राम के कुंडली से भी तुम्हारा कुंडली मजबूत है तुम बन सकते हो लेकिन डिफरेंस दोनों कुंडली में इतना है कि राम के कुंडली में चंद्रमा बहुत मजबूत है मतलब ठीक-ठाक है तुम्हारा कुंडली में चंद्रमा चंद्रमा में कहीं ना कहीं किसी के लिए रावण कैसे बनाते हैं बनाते हैं लिखते हैं सोचते हैं मीटिंग करते हैं ले लेते हैं
रावण के पास प्लानिंग दे दिया गया कि समुंदर को मीठा बनाना है स्वर्ग तक सीढ़ी लगाना है रावण का नहीं था लेकिन जब काम करने के लिए टाइम आया तो कहां चला गया जीवन में जब एप्लीकेशन का टाइम आया करवाने करने का टाइम आया तो किसी और काम में जाकर लग गया हमारे साथ सबके साथ रावण बुद्धि है कि नहीं है हम सब यही करते हैं कि नहीं करते हैं तो सफल कैसे पढ़ लिया तुम पढ़ लिया फिर जाकर क्या नाम है उसका तुमको कॉमर्स पढ़ने का काम करते हैं
काम कुछ और करते हैं किसके कारण चंद्रमा के दुर्बलता के कारण और यही बात रामायण जी में शुक्राचार्य रावण को बता रहे हैं कि तेरा कुछ प्रॉब्लम नहीं है प्रॉब्लम यही है तो क्या करेंगे चंद्रमा को सेटिंग करो चंद्रमा कैसे सेटिंग हो सकता है रावण कृत शिव तांडव स्त्रोत
लेकिन प्रॉब्लम कौन कर दिया वही चंद्रमा वही मन जिसको जिसको जिस चंद्रमा को सेटिंग करने के लिए गया था उसी चंद्रमा चंद्रमा सुपर फास्ट माइंड माइंड है कि जो चंद्रमा है अतीत होने के कारण फास्ट थिंकिंग होने के कारण जो मन है उसको नहीं मिलेगा कुंडली में गुरु बृहस्पति एकदम उसका बृहस्पति राष्ट्रपति
चंद्रमा की द्वादश स्थान में बैठ गया छठा स्थान में बैठ गया अष्टम स्थान में बैठ गया केंद्र में चंद्रमा हो गया रिमाइंडर चंद्रमा हो गया किसी का बात सुनने वाला नहीं है किसी का बात मानने वाला नहीं है ऐसे लोग जिंदगी में इसके कारण चंद्रमा के कारण भाइयों चंद्रमा चंद्रमा द्वादश चंद्रमा