ना सोच कर तो नहीं है तो फिर ऐसे ध्यान का हमारे जीवन में कैसे उतरे उसका क्या पद्धति है पहला बिंदु विशेष को समझना जरूरी है ध्यान का जीवन में लाना मकरू होना मकरू का अगर आप देखोगे मकर राशि का सिस्टम सिंबल क्या है देखे हो क्या है सामने से भीड़ है और पीछे से मगरमच्छ तो दोनों का कैरेक्टर एक एक तो देखो भेड़ा मेष राशि मंगल का घर कभी भी मंगल शांत बैठने वाला नहीं है हर समय युद्ध करने वाला है हर समय कर्म रथ और एक तरफ मगरमच्छ का पूछ आधा बॉडी मगरमच्छ और मगरमच्छ देखे देखे देखे हो
बिना हिले दुले एक जगह में घंटों पड़े रहना शिवा किसी और का नेचुरल नैसर्गिक गुण नहीं है मकर राशि ही कर सकता है और जो मकर राशि यह नहीं कर सकता ध्यान याद रखना जिंदगी में कभी भी यूपी और मकरु नहीं है दुर्गा जीवन में कभी भी उन्नति करनी चाहिए ध्यान का बात बोल रहे हो ध्यान तो आ गया राजयोग में पतंजलि योग में और कर्म आ गया कर्मयोग में तो पहला 7 अध्याय भगवान श्री कृष्ण कर्मयोग का बताएं उसके बाद 6 अध्याय 6 अध्याय कर्मयोग का 6 अध्याय राज्यों का भक्ति योग का क्षेत्रीय 18 अध्याय तो वही खत्म हो गया फिर कहां आ गया यहां ध्यान और कहां गया कर्म तू मकर राशि द मिक्सचर कंबीनेशन ऑफ कर्मा एंड ध्याना और पूरे गीता शास्त्र श्री कृष्ण भगवान कह रहे हैं न करना मना कर में कोई ध्यान में कभी नहीं उतर सकता श्रीमद्भागवत गीता में फिर ध्यान ध्यान पहले फिर इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टो ईच अदर जो मकर राशि कर्म से पीछे हट गया डरता है कर्म करने के लिए तो फिर समझना की कमी है मगर को जिया नहीं अभी तक इतना बेस्ट राशि है मकर राशि मेष राशि का
पढ़ने का यह भेड़ लोग झड़ जाते हैं शेर को भी डर लगता है एक बार वहां चढ़ने के लिए कि मर जाएं लेकिन मगर वहां पहुंचता यानी क्या याद रखना जहां कोई नहीं कर पाता है वह मकरु करता है मकरूह हार नहीं सकता टॉप में पहुंचना आज नहीं तो कल मरने से पहले अपने लक्ष्य के परम शिखर पर पहुंचेगा तो पहुंचेगा लेकिन कब पहुंचेगा कुंडली दिखाने से कब पहुंचेगा बढ़ते जाएं वल्लभ भवन बिछड़े सुमन पड़े हैं अगणित स्नेहा सूत्र में करले गुप्ता माता के मन को बनाना है मन नहीं बना तो महानतम लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते किसी को कोई फायरिंग करता है मारता है गोली मारता डिस्को
तू पहला क्या काम है माइंड मेकिंग और माइंड मेकिंग के लिए क्या चाहिए मन का निर्माण के लिए ध्यान चाहिए ध्यान 9 मेडिटेशन 9 मेडिटेशन मेडिटेशन मेडिटेशन मेडिटेशन के जीवन पर हर क्षेत्र में सफलता तुम्हारे कदम चूमे का और ध्यान ही है जो ज्ञान तक पहुंचाता है तभी श्री कृष्ण भगवान गीता में बोलते हैं ज्ञानानी धक-धक अरमानी तमाखू पंडित अंबुजा बिना ध्यान का ज्ञान कभी उदय ना हुआ है ना होगा तो कहां से निकले थे कर्मयोग से कहां पहुंचे राज्यों में फिर राजयोग से कहां पहुंचे ज्ञानयोग में और जब ज्ञान होता है तो भक्ति का पराकाष्ठा अपने आप जीवन में चलता है तभी कृष्ण गीता में बोलते हैं आज्ञा स्वार्थी ज्ञानिश चार प्रकार के भक्त होते हैं फिर भक्तियोग शुरू हो गया वहां ओरिजिनल टीमें प्रेम में और जो भी ध्यान ही नहीं है वह भक्ति के अंदर नहीं प्रवेश कर सकता है भक्ति के अंदर प्रवेश करने के लिए कर्मयोग चाहिए राजयोग ध्यान चाहिए ज्ञान योग चाहिए कौन सा ज्ञान जो ध्यान के भट्टी से निकला हुआ ध्यान का बोरिंग करके अंदर जाओगे तो ज्ञान और भक्ति का विनम्रता के साथ भक्ति का प्राण निकलेगा जीवन में और वह भक्ति जीवन पर आता है शेर का सर्वे फिर जीवन में कष्ट पीड़ा क्योंकि ध्यान करते करते तुम कहां चले जाते हो टाइमलेंसनेस जब तक तुम काल में हो समय में हो तब तक तुम्हें कष्ट है तब तक सनी है तब तक राहु केतु शनि बृहस्पति सूर्य मंगल बुध शुक्र सब हैं जब तुम कालातीत हो जाते हो फिर कौन सा ग्रह तुम्हारा क्या उखाड़ सकता है तुम आज मेरे कुंडली में है कि नहीं मतलब तुम कालगणना कर रहे हो नाइस सर ग्रुप में है कि नहीं लेकिन जब तुम काल से कालातीत हो जाते हो जो लोग टाइम लेसनर जहां टाइम का कोई प्रभाव नहीं है तो फिर ग्रह क्या करेंगे तुम्हें फिर किस ग्रह को डरना है और जब तुम और प्रज्ञा ह
वह बता रहा था कि तो सुनो सुख-दुख यीशु सीता जाए चाहे उससे सुखा जाए चाहे दुख तथा मानव मानव माना जाए चाहे तुल्य निंदा कोई तुलना करें या तो मैं निंदा करें तुल्य निंदा स्तुति तुम्हारा स्तुति गान करें या तुम्हें रह जाए तुम मेरे को कितना अच्छा बना है चाहे मत बोलो मुझे कोई फर्क पड़ने वाला है कितना भी समुंदर से पानी निकाल दो ध्यान का पराकाष्ठा जीवन पर सबसे सबसे ज्यादा आवश्यक बिंदु है और जब तुम ध्यान करते हो तो फिर तुम्हारा मन में कदाचित किसी भी कंडीशन पर दुख आने का संभावना नहीं है हो ही नहीं सकता बोलोगे ना जब बोलते हैं भगवान नंद सरस्वती बनकर बैठा है दयानंद सरस्वती बनकर बैठा है
खतरनाक सबसे बड़ा खतरनाक जानवर कौन पता है श्रोता श्रोता रॉक निकालो श्रोता रोका मात्रा को निकालो क्या होता है श्रोता रोका मात्रा को निकालो क्या होता है सोता हमको कंपलेक्स है कोई कुछ बोल देता है ना तो अच्छा नहीं लगता किसका कंपलेक्स है कौन सोच रहा है हम थोड़ा सा हकला है गुरु जी क्या हो गया प्रज्ञा में नहीं है मन इसलिए बुरा सोचते हैं अभी का अगर तुम देखोगे जितने मुकुरु वाले बोले ना मन खराब लग रहा है क्यों खराब लग रहे पता है अभी मुकुरु बालों का साडे 5 साल से जो जिंदगी में घटना घटा अब वह दिमाग में रिवॉल्यूशन होना चालू हो गया जाते हो तो फिर
जो वर्तमान में जो वर्तमान में हमेशा है ध्यान कहां आ रहा है बात मेडिटेशन मन मैं हमेशा वर्तमान में रहूं गधा जो चला गया अगर ताजो नहीं गया भविष्य के बारे में मैं इंटरनेशनल क्रिकेटर बनूंगा या नहीं मेरा लोकल वाला जो पार्टी में सेट किया था जो लड़का को ब्लैकमेल करने के लिए ढकने के लिए सेट हुआ है या नहीं कब तक दे देगा पैसा और अमेरिका वाला जो सेटिंग किया हूं बड़ा पार्टी कब तक दे देगा पैसा हम घर बैठे कमा ले बढ़िया बढ़िया ज्वेलरी पहन ल यह मानसिकता है आज का मैं किसी को दोष नहीं दे रहा हूं किसी को गंदा नहीं दिखा रहा हूं
मिनी स्कर्ट में हीरो हीरोइन लोगों को दिखाएं कि देखो हमारा कितना बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड है
क्या बना दिया ऐसे ही थक लाल सिंह कामचोर राम अलसी बुढ़िया महाराज बना दिया बिना मेहनत का हमें मिल जाए इस प्रयास में सब कोई हम अपना एस मस्ती में रहे और बड़े बाबू बन जाए बिना मेहनत का बन जाए जो ख्याली पुलाव है तो बाप इन सभी स्थिति से बाहर निकलना है तो क्या चाहिए मेडिटेशन जी और मेडिटेशन ही है जो तुम्हारे जिंदगी का हर प्रकार का पाप ताप दुख कष्ट पीड़ा को साफ कर देता है बिना ध्यान का कभी किसी का पाप नया निकला ना निकलेगा कदाचित नहीं निकला है ना निकलेगा और पाप से बचना है जब तक मेल प्लानेट अकाउंट में नहीं करोगे तो कैसे डिस्ट्रॉय करोगे ध्यान से
कंपलेक्सेशन जितने सारे मनोवैज्ञानिक रोग हैं उन सब से बाहर निकाल देता है मेडिटेशन बुध मुक्त आनंद कर देता है को ईश्वर ईश्वर प्राप्ति भगवत प्राप्ति ज्ञान प्राप्ति परमानंद प्राप्ति के बाद नहीं वह तो हर पल हर क्षण है ही पढ़ाई हुआ है मिला ही हुआ है तुम्हारा फोकस भटका दिए हो प्राप्ति प्राप्ति भक्ति पाती भगवत प्राप्ति अरे गधा नंद सरस्वती जब तुम अपने मुंह से यह कहो कि था है और रहेगा सर्वत्र पर बड़े-बड़े बात बोलूंगा तो ऊपर से निकल जाएगा तो इतना ही बोल देता हूं इलाह हुआ है प्त तो फिर परमानंद परमानंद परमानंद पम सनातन नित्य चैतन्यानंद स्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्मा सोहम तत्वमसि प्रज्ञानंम यह अगर हर पल हर हर क्षण था है और रहेगा फिर किसका खोज बेटा वह तो है लेकिन तुम्हें नहीं मिल रहा है क्योंकि तुम उसका मीडिया ही नहीं हो टीवी खोलते हो घर में मोबाइल चलाते हो इंटरनेट पकड़ता है क्योंकि उसमें वह सिस्टम नहीं है क्या हर एक इंसान नहीं है अपने अंदर नहीं देखा सबको समय दे दिया अपने अंदर समय नहीं दिया सबको प्रेम कर लिया अपने को प्रेम नहीं किया तो फिर जब अंदर नहीं गए तो अंदर वाला मिलेगा क्या तुम्हारा शक्ति का स्रोत ऊर्जा कहां पड़ा हुआ है बाहर या अंदर तो फिर जब तक तुम अंदर नहीं प्रवेश करोगे तो पाओगे क्या और बिना ध्यान का अंदर प्रवेश संभव है क्या ध्यान करो अंदर जाओ तभी देखना सब कुछ पढ़ा हुआ है जो चाहते हो वह पड़ा हुआ है क्या ग्रहों और क्या जातक और क्या कुंडली सब कुछ है तो वह ध्यान और तुम्हारे जैसे ही तो यहां अर्जुन प्रश्न कर रहे हैं जितेंद्र की हारेंगे भगवान कृष्ण जी
तो फिर आओगे ना खाने से थोड़ी होगा जिसको जो जो बताया गया रेमेडी उसको करना पड़ेगा जब तक पूजा पाठ हवन करते मार्जन करना पड़ेगा कर्मयोग करना पड़ेगा प्रायश्चित कर्म करना पड़ेगा पेंडिंग कर्म को परिपूर्ण करना पड़ेगा तभी तभी तुम्हारा जो अभीष्ट है जो लक्ष्य है वह प्राप्त होगा और यह सारे बिना ध्यान में पॉसिबल है क्या इसीलिए आप लोग यहां इतना भयंकर धूप में बैठकर ध्यान कर रहे हो तो प्रेम फर्नेस में हिट किया जा रहा है हिटिंग मेल्टिंग स्मेल्टिंग किया जा रहा है तुम लोग भी एक घंटा ध्यान बैठे मैं भी बैठा मैं कितना बार हिल रहा था आप लोग कितना बार है आंख बंद करके बैठे थे और आपको नहीं देख रहे थे क्या नौटंकी चल रहा है फोन कितना पैसा कमाया हमारा ध्यान है और आंख नाक बंद रहेगा खुला रहेगा ध्यान का
था है और रहेगा फिर तुम किसका प्राप्ति का बात करते हो