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सुख के पीछे पादना है और दुख के लिए रोना है

जो जो नित्य है उसके पीछे सुख या दुख के खोज में इतना व्यस्त हैं कि इससे ऊपर उठकर परमानंद को ढूंढ नहीं पाते जिसके लिए जिंदगी में परेशानी ज्यादा बढ़ जाता है या तो सुख ढूंढते ढूंढते मिल रहा…